भास्कराचार्य द्वितीय वाक्य
उच्चारण: [ bhaasekraachaarey devitiy ]
उदाहरण वाक्य
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- यहाँ हम विशेष चर्चा भास्कराचार्य द्वितीय की करेंगे जो
- के महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय (११५० ई.) के ग्रंथ
- भास्कराचार्य द्वितीय द्वारा प्रस्तावित सिद्धान्तों की स्पष्ट
- लेकिन भारतीय मनीषी भास्कराचार्य द्वितीय को देखिए।
- भास्कराचार्य द्वितीय द्वारा एक अन्य प्रमुख ग्रन्थ की रचना की
- :) न्यूटन ने लगभग 400 वर्ष पहले भास्कराचार्य द्वितीय ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को स्पष्ट किया था।
- भास्कराचार्य द्वितीय द्वारा एक अन्य प्रमुख ग्रन्थ की रचना की गई जिसका नाम है ‘ लीलावती ' ।
- :) न्यूटन ने लगभग 400 वर्ष पहले भास्कराचार्य द्वितीय ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को स्पष्ट किया था।
- भास्कराचार्य द्वितीय का जन्म बिदार में हुआ अथवा बीजापुर में यह विषय एक गहन तर्क वितर्क का हो सकता है।
- सुकवि भास्कराचार्य द्वितीय की ' लीलावती' की “बाले बाल कुरंग लोलनमने....है” तो डॉ. उपाध्याय जी की 'ओल्गा तुम्हारे नेत्रों में वोदका सी मादकता है।
- यहाँ हम विशेष चर्चा भास्कराचार्य द्वितीय की करेंगे जो महान वैज्ञानिक होने के साथ साथ गणित तथा खगोल शास्त्र के प्रकांड पंडित तथा ज्ञाता थे।
- कई शताब्दियों के बाद केपलर तथा न्यूटन जैसे यूरोपीय वैज्ञानिकों ने जो सिद्धान्त प्रस्तावित किए उन पर भास्कराचार्य द्वितीय द्वारा प्रस्तावित सिद्धान्तों की स्पष्ट छाप मालूम पड़ती है।
- मध्ययुग के अद्वितीय गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक सिद्धान्तशिरोमणि (लीलावती, बीजगणित, गोलाध्याय, ग्रहगणितम्) एवं करण कुतूहल में गणित की विभिन्न शाखाओं तथा अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति आदि को एक प्रकार से अंतिम रूप दिया है।
- मध्ययुग के अंतम तथा अद्वितीय गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक शिरोमणि (लीलावती, बीजगणित, गोलाध्याय, ग्रहगणितम्) एवं करण कुतूहल में गणित की विभिन्न शाखाओं तथा अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति आदि को एक प्रकार से अंतिम रूप दिया है।
- मध्ययुग के अंतम तथा अद्वितीय गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक शिरोमणि (लीलावती, बीजगणित, गोलाध्याय, ग्रहगणितम्) एवं करण कुतूहल में गणित की विभिन्न शाखाओं तथा अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति आदि को एक प्रकार से अंतिम रूप दिया है।
- यहाँ हम भारत के महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय (११ ५ ० ई.) के ग्रंथ ' सिद्धांत शिरोमणि ' के अंतर्गत ' गोलाध्याय ' में बताई गई वैज्ञानिक लेखन की विशेषताओं का उल्लेख करना चाहेंगे जो इस प्रकार हैं-
- मध्ययुग के अद्वितीय गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक सिद्धान्तशिरोमणि (लीलावती, बीजगणित, गोलाध्याय, ग्रहगणितम्) एवं करण कुतूहल में गणित की विभिन्न शाखाओं तथा अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति आदि को एक प्रकार से अंतिम रूप दिया है।
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